देखो न! यह मेरी कैसी तक़दीर है, न तुम हो न तुम्हारी कोई तस्वीर है, दिन-रात तेरा ग़म ही ग़म है मुझे, सीने में साँसों की टूटी हुई ज़ंजीर है...!
सुन्दर चित्र हैं।
aise hi najare dikhaten rahen
" waah!!! bhut hi mnmohak chitr"Regards
good
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4 टिप्पणियां:
सुन्दर चित्र हैं।
aise hi najare dikhaten rahen
" waah!!! bhut hi mnmohak chitr"
Regards
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